उत्तराखंड: आग की जद में पहाड़, लाखों की वन संपदा स्वाहा
उत्तराखंड: अभी मार्च का महीना गया भी नहीं है और गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ गई है, आम तौर आज तक मार्च के महीने में तो पहाड़ ठंडे रहते ही थे लेकिन अब स्थिति धीरे-धीरे बदलने लगी है और इसी का नतीजा है कि पहाड़ों में लगने वाली वह आग जो आमतौर पर मई-जून में लगती थी वह अब मार्च में ही लगने लगी है।
केदार घाटी सहित सम्पूर्ण इलाकों के तापमान में वृद्धि होने से जंगलों में भीषण आग सुलगने लग गयी है ! कालीमठ घाटी के अन्तर्गत नित्य निवासिनी के निकटवर्ती जंगलों में भीषण आग लगने से लाखों की वन सम्पदा स्वाहा ही गयी है तथा वन्य जीव – जन्तुओं के जीवन पर भी संकट के बादल मडराने लग गये है! जंगलों में भीषण आग लगने के बाद भी वन विभाग के बेखबर होने से विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गयी है! यदि समय रहते जंगलों में लगी भीषण आग पर काबू नहीं पाया गया तो जंगलों में लगी भीषण आग विकराल रूप धारण कर सकती है तथा लाखों की वन सम्पदा स्वाहा हो सकती है।
वातावरण में जिस तरह से लगातार वृद्धि हो रही है, और क्लाइमेट चेंज का असर जिस तरह से दुनिया भर में दिखाई दे रहा है उसी का असर है कि अब उत्तराखंड भी क्लाइमेट चेंज के जाल में पूरी तरह से फंस चुका है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों की जब हम बात करते हैं तो कुछ दशकों पहले यहां पर अच्छी ठंड रहती थी लेकिन अब स्थिति यह है कि मसूरी, नैनीताल, चमोली, रुद्रप्रयाग जैसे स्थानों में भी लोगों को अपने घरों में कूलर एसी लगाने लगे हैं, जिससे सब पता चलता है कि क्लाइमेट कितना चेंज हो रहा है।