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उत्तराखंडः चार गांवों में अचानक लगा दिया गया लॉकडाउन, बताई गई ये वजह…

उत्तराखंड की लोक संस्कृति अपने आप में बेहद दिलचस्प है। इसी संस्कति-रिति रिवाजों के चलते चार गांवों में अचानक लॉकडाउन लगा दिया गया। बताया जा रहा है कि इन गांवों का कोई भी व्यक्ति न तो गांव की सीमा से बाहर जा सकेगा और न ही बाहर से कोई इन गांवों में प्रवेश कर सकेगा। अब आप ऐसा सोच रहें होंगे कि आखिर ये लॉकडाउन क्यों लगाया गया। तो हम आपको बता दें कि ये एक रिवाज के चलते किया गया है। दरअसल चमोली जिले के उर्गम घाटी के चार गांवों में खुशहाली, अच्छी फसल और सेहत के लिए अनुष्ठान चल रहा है। जिसके लिए ये लॉकडाउन लगाया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार देवभूमि उत्तराखंड में देवताओं की पूजा करने के लिए हर गांव और क्षेत्र के अपने-अपने अनुष्ठान और रिवाज हैं। ऐसा ही कुछ चमोली जिले के सलूड और उर्गम गांवों का है।  उर्गम घाटी के डुंग्री, बरोसी और जोशीमठ क्षेत्र के सलूड़ और डुंग्रा गांव के लोग इन दिनों भूमियाल देवता के मंदिर में पूजा अर्चना में मग्न हैं। यहां एक ऐसी पूजा होती है, जिसके नियम काफी कठोर होते हैं। बताया जा रहा है कि पूजा के दौरान गांव का कोई भी व्यक्ति गांव से बाहर कदम नहीं रख सकता है। न ही कोई बाहर का व्यक्ति गांव में घुस सकता है । ये पूजा शुरू हो चुकी है। इस बार जोशीमठ में 20 सालों बाद ऐसी पूजा हो रही है। 10 जनवरी को अपराह्न दो बजे से गांव के भूमियाल देवता के मंदिर में उबेद (मंत्रों से गांव की घेरबाड़) कार्यक्रम शुरू हुआ। पूजा शुरू होने से पहले चारों गांवों की सीमाओं का मंत्रों से बंधन कर दिया गया।

बताया जा रहा है कि इस पूजा का विशेष महत्व होता है, जो कई सालों बाद संपन्न की जाती है। यह पूजा चार दिन तक चलेगी।  नियमों के मुताबिक, इस पूजा के चलते कोई भी ग्रामीण तीन से चार दिन तक अपने गांव से बाहर नहीं जाता है। साथ ही बाहरी व्यक्ति को भी गांव में प्रवेश करना वर्जित माना जाता है।गांव के प्रवेश पर भी रोक लगा दी जाती है। खेती से लेकर चारा पत्ती तक की परमिशन गांव के ग्रामीणों को नहीं है। वाहनों की आवाजाही पर भी आयोजकों ने पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। एक तरह से वहां देवता की पूजा के लिए लॉकडाउन है।

बताया जा रहा है कि पूजा-अर्चना निर्विघ्न चले, इसके लिए गांवों की सीमाओं पर पूजित चावल व अन्य अनाज से मंत्रों के जरिए लक्ष्मण रेखा खींच दी गई है। जितने दिन तक पूजा-अर्चना होगी, उतने दिन तक इन गांवों का कोई भी व्यक्ति न तो गांव की सीमा से बाहर जा सकेगा और न ही बाहर से कोई इन गांवों में प्रवेश कर सकेगा। वाहनों की आवाजाही पर भी आयोजकों ने पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। एक तरह से वहां देवता की पूजा के लिए लॉकडाउन है।

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