संक्रामक बीमारियों की चपेट में मवेशी, पशुपालन विभाग चला रहा टीकाकरण अभियान…
गर्मी का मौसम शुरू हो गया है। गर्मी के साथ ही कई तरह की बीमारियां भी फैल रही है। मवेशी संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं. इन संक्रामक रोगों को रोकने के लिए पशुपालन विभाग मवेशियों में टीकाकरण अभियान चला रहा है. नैनीताल जिले के बिंदुखत्ता क्षेत्र में इन दिनों मवेशियों में खुरपका और मुंहपका रोग फैल रहा है. ऐसे में पशु चिकित्सा विभाग ने मवेशियों का टीकाकरण शुरू कर दिया है.
मिली जानकारी के अनुसार बिंदुखत्ता क्षेत्र में कुछ मवेशियों में मुंहपका और खुरपका रोग लगने पर पशुपालन विभाग अलर्ट पर है. फिलहाल, पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कुछ मामले उनके संज्ञान में आए हैं, लेकिन टीकाकरण का कार्य चल रहा है. लोगों को इस बीमारी से सावधानी बरतने की जरूरत है. मवेशियों का टीकाकरण करने के साथ ही पशुपालकों को रोग के लक्षण और बचाव की जानकारी दी जा रही है.
बताया जा रहा है कि बिंदुखत्ता क्षेत्र में कुछ मवेशियों में संक्रमण की शिकायत सामने आई है. डॉक्टरों की टीम मवेशियों का इलाज कर रहे हैं. साथ ही टीकाकरण का कार्यक्रम भी चल रहा है. कई बार देखने में आता है कि लोग अपने मवेशियों को गर्भधारण और दूध देने के अवस्था में टीकाकरण से बचते हैं, जिसके चलते कुछ मवेशियों में इस तरह के लक्षण सामने आते हैं. उन्होंने बताया जा रहा है कि जानवरों के मुंह में छाले और जख्म बन रहे हैं, जिससे वो चारा नहीं खा पा रहे हैं. साथ ही जानवरों को 104 डिग्री तक का बुखार आ रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर इस तरह की बीमारी जानवर में सामने आती है तो बीमार मवेशियों के संपर्क में आने से बचाने के लिए अन्य जानवरों को उनसे अलग रखें.
इस बीमारी में मवेशी के मुंह से अत्यधिक लार का टपकता है. जीभ और तलवे पर छालों में उभार आता है, जो बाद में फट कर घाव में बदल जाते हैं. इसके साथ ही मवेशियों को तेज बुखार आता है. खुरों के बीच में घाव होता है. जिसकी वजह से पशु लंगड़ा कर चलता है या फिर चलना बंद कर देता है. मुंह में घावों की वजह से पशु भोजन लेना और जुगाली करना बंद कर देता है. जिससे वो कमजोर हो जाता है. दूध उत्पादन में करीब 80 फीसदी की गिरावट आती है. गाभिन मवेशियों के गर्भपात और बच्चा मरा हुआ पैदा हो सकता है. वहीं, बछड़ों में अत्यधिक बुखार आने के बाद बिना किसी लक्षण के उसकी मौत हो जाती है.
बीमारी से रोकथाम के लिए ये जरूरी
पशुपालक को इस बीमारी को लेकर जागरूकता दिखाने की आवश्यकता है. तभी इस रोग का रोकथाम संभव है. नजदीकी सरकारी पशु चिकित्सा अधिकारी को संपर्क करें. प्रभावित मवेशियों के रोग का पता लगने पर तत्काल उसे अलग करें. दूध निकालने के पहले आदमी को अपना हाथ और मुंह साबुन से धोना चाहिए. अपने कपड़े बदलना चाहिए. क्योंकि, यह बीमारी इंसान से भी फैल सकता है.