एसडीजी इंडेक्स 2023-24

Thu. Sep 19th, 2024

प्रल्हाद जोशी और कैलाश विजयवर्गीय दिल्ली रवाना, अब केंद्र करेगा उत्तराखंड की किस्मत का फैसला

देहरादून।उत्तराखंड में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रल्हाद जोशी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय दिल्ली लौट गए। सूत्रों का कहना है कि दोनों नेता अब नेतृत्व को उत्तराखंड की वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे। इसमें मुख्य विषय मुख्यमंत्री के चयन का होगा। इसके बाद पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व राज्य की कमान सौंपने के संबंध में विचार करेगा। माना जा रहा है कि एक-दो दिन में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में नेता चयन के मद्देनजर भाजपा विधायक दल की बैठक होगी। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले थे, ऐसे में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को देहरादून जाने के निर्देश दिए थे इसीलिए कैलाश विजयवर्गीय छह मार्च से देहरादून में ही थे।

इस दौरान उन्होंने अपने प्लान को ध्यान में रखते हुए सभी पहलुओं पर चर्चा और मंथन किया। मार्च को प्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रबंधन की कमान संभालने वाले केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी भी दिल्ली से देहरादून पहुंच गए।10 मार्च को मतगणना के बाद परिणाम आने पर इसमें पार्टी को दो-तिहाई बहुमत मिला, लेकिन राज्य में पार्टी का चेहरा रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट से चुनाव हार गए। पार्टी की जीत और मुख्यमंत्री की हार पर आगे की रणनीति पर विचार किया गया।

राज्य की राजनीति की वर्तमान परिस्थितियों को समझने के बाद दोनो नेता दिल्ली में आलाकमान को वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे। माना जा रहा कि एक-दो दिन में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी।केंद्रीय मंत्री जोशी और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विजयवर्गीय के दिल्ली रवाना होने से पहले शुक्रवार को दोपहर बाद निवर्तमान कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने उनसे यहां एक होटल में भेंट की। महाराज ने पार्टी के चुनाव प्रबंधन और प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भाजपा ने प्रदेश के विकास के साथ ही सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा।अब भाजपा सरकार उत्तराखंड को संस्कार भूमि बनाने के साथ-साथ सभी विकास कार्यों को तेजी से पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की कार्य संस्कृति और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि चुनाव में विरोधी दल जीत के लिए तरसते नजर आए।

 

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