अब रेलवे स्टेशन से ही खरीद सकते है हर शहर की मशहूर चीज, जानें कहां है क्या खास…
Railway Update: उत्तराखंड में भारतीय रेलवे द्वारा शुरू की गयी योजना ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ (ओएसओपी) धरातल पर दिखाई दे रही है। ओएसओपी योजना के अंतर्गत पिछले छह महीने में उत्तर रेलवे के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर 112 ओएसओपी आउटलेट चालू हैं, इस योजना के तहत देहरादून में पहाड़ी दालें, जूस और बाजरा, रूड़की में खादी वस्त्र सहित हर स्टेशन पर कुछ न कुछ खास मिल रहा है। आइए जानते है आपको किस स्टेशन पर क्या मिलेगा।
स्वदेशी उत्पादों का समर्थन करने, आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार का ‘वोकल फॉर लोकल’ मिशन शुरू किया था। इसके अनुरूप, रेल मंत्रालय ने स्थानीय और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ योजना शुरू की है। इस योजना के तहत जिस स्थान की जो चीज विशिष्ट है उसे बेचा जा रहा है। इसमें स्थानीय लोगों द्वारा बनाई गई कलाकृतियाँ, स्थानीय बुनकरों द्वारा हथकरघा, विश्व प्रसिद्ध लकड़ी की नक्काशी जैसे हस्तशिल्प, चिकनकारी और कपड़ों पर जरी-जरदोजी का काम से लेकर मसाले, चाय, कॉफी और अन्य प्रसंस्कृत और अर्ध-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ या उस विशेष क्षेत्र में स्वदेशी रूप से उगाए गए उत्पाद भी शामिल किए गए हैं।
देखें किस स्टेशन पर क्या मिल रहा खास
- देहरादून में पहाड़ी दालें, जूस और बाजरा , मंडुए की बर्फी, लड्डू, नानखटाई, जूट बैग और चाय मसाला,
- रूड़की में खादी वस्त्र
- हरिद्वार में पहाड़ी दालें, पहाड़ी आभूषण, मंडुआ आदि,
- लक्सर और योगनगरी ऋषिकेश में लकड़ी का हस्तशिल्प
- मुरादाबाद में पीतल के बर्तन,
- चंडीगढ़ और सहारनपुर में नक्काशीदार लकड़ी के उत्पाद,
- शिमला में हस्तशिल्प वस्तुएं,
- अंबाला छावनी में प्राचीन वस्तुएँ,
- चीनी मिट्टी की चीज़ें, कढ़ाई, कांच के सामान, मिट्टी के बर्तन और लकड़ी के हस्तशिल्प,
- दिल्ली छावनी में जैविक खाद्य पदार्थ ,
- अमृतसर में खादी उत्पाद, शहद, शैम्पू, तेल, साबुन, अगरबत्ती और मेहंदी,
- श्रीनगर में सूखे मेवे, कहवा, शहद, केसर, कश्मीरी अचार जैसे कृषि उत्पाद तथा स्थानीय बेकरी आइटम,
- लखनऊ में चिकनकारी वस्त्र ,
- वाराणसी में लकड़ी के खिलौने,
- रामपुर में ज़री पैचवर्क के अलावा, अन्य स्टेशनों पर बेचे जाने वाले उत्पादों में तोशा, फालसा, कीनू
- , फाजिल्का में हस्तनिर्मित जूते,
- गुरदासपुर में दुग्ध उत्पाद
- जालंधर कैंट में कपड़े, हरी चाय और टमाटर का सूप,
- मझोम में कहवा, कश्मीरी रोटी, सूखे मेवे जैसे स्थानीय कृषि उत्पाद,
- अबोहर में पंजाबी जूती और लकड़ी के खिलौने ,
- सोनीपत में मिठाई (रेवड़ी) ,
- मेरठ शहर में खेल के सामान और खादी की वस्तुएं,
- अमरोहा में ताल वाद्य,
- बालामऊ और रोजा में मिट्टी के खिलौने और बर्तन ,
- बरेली और बशारतगंज में बेंत और बांस के उत्पाद,
- चंदौसी में हस्तनिर्मित जूते,
- हापुड में पापड़ और पेठा,
- हरदोई और रूडकी में खादी वस्त्र,
- माखी में माखी पेड़ा, मीरानपुर कटरा में बेसन की बर्फी,
- नजीबाबाद में लकड़ी का हस्तशिल्प,
- रामगंगा पुल पर बताशा रेवड़ी प्रसाद,
- संडीला में बेकरी और पेठा,
- शाहजहांपुर में पूजन सामग्री, धूप माला, इत्र, अचार, जूट बैग,
- सीतापुर शहर में दरी, रुमाल, चादर, कालीन, पर्दा , बेहटा गोकुल में केला,
बताया जा रहा है कि इस योजना का उद्देश्य समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर पैदा करना है। इन ओएसओपी स्टॉलों को पूरे भारतीय रेलवे में एकरूपता के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद द्वारा डिजाइन किया गया है। गौरतलब है कि वोकल फॉर लोकल ने निश्चित रूप से कारीगरों द्वारा उत्पादित उत्पादों के बारे में खरीदारों के बीच जागरूकता बढ़ाई है और न केवल मानवीय दृष्टिकोण से बल्कि अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से भी देश में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने के लिए उन्हें समर्थन देने पर बल देता है ।