Sat. Nov 23rd, 2024

नई दिल्ली: केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए अब पीएचडी अनिवार्य नहीं, जानिए यूजीसी का फैसला

नई दिल्ली: अब केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए पीएचडी की अनिवार्यता समाप्त होने वाली है। इस ओर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग बड़ा कदम उठाने जा रहा है। उद्योग जगत के विशेषज्ञ और पेशेवर लोगों को अब विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका मिलेगा वे लोग जो अपने क्षेत्र का ज्ञान तो रखते हैं लेकिन पीएचडी डिग्री उनके पास नहीं होती ऐसी दशा में यूजीसी प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस जैसे विशेष पद शुरू करने जा रही है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एम जगदेश कुमार ने कहा, ”कई विशेषज्ञ और जानकर ऐसे होते हैं जो पढ़ाने की इच्छा रखते हैं, उनके पास उस संबंध में बेहतर अनुभव होता है लेकिन डिग्री नहीं, वर्तमान नियमानुसार उन्हे केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए योग्य नहीं माना जाता। ऐसी दशा में केंद्रीय विश्वविद्यालय में कुछ खास पदों का प्रावधान होगा जिनके लिए Ph D. की डिग्री अवश्य नहीं होगी।
उन्होंने ये भी बताया कि विशेषज्ञों को किसी दिए गए डोमेन में अपने अनुभव का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होगी.” संस्थानों की जरूरतों के आधार पर यह पद अस्थाई या स्थाई हो सकते हैं जिसमें 60 साल से अधिक आयु के सेवानिवृत्त होने वाले विशेषज्ञ भी शामिल किए जा सकते हैं साथ ही यह भी बताया गया की 65 साल की आयु तक यह विशेषज्ञ अपने ज्ञान और अनुभव को विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ साझा कर सकते हैं।

इस संबंध में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की यूजीसी चेयरपर्सन एम जगदेश कुमार के साथ चर्चा हुई। जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नियमों में संशोधन पर विचार किया गया, साथ ही इस मसले पर एक समिति गठित करने का फैसला किया गया. अपनी इस मुहिम को जमीनी स्तर पर शुरू करने के लिए यूजीसी एक केंद्रीकृत पोर्टल बनाने पर भी विचार कर रहा है जिसके तहत शिक्षकों की नियुक्ति को सुनिश्चित और सुव्यवस्थित किया जा सकेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *