Mon. Nov 25th, 2024

जंगल की आग लग रही विकराल रूप, पर्यावरण और वन्य जीवों को हो रहा भारी नुक़सान…

उत्तराखंड के जंगलों में आग हर साल आने वाली ऐसी आपदा है जिसमें इंसानी दखल मुख्य कारण माना जाता है. हर साल सैकड़ों हेक्टेयर जंगल आग से ख़ाक हो जाते हैं और इससे जैव विविधता, पर्यावरण और वन्य जीवों का भारी नुक़सान होता है। एक बार फिर उत्तराखंड के जंगल धूं धूं कर जल रहे हैं। हर साल सरकार और सिस्टम जंगलों को बचाने के लिए लाख दावे और हजारों प्लानिंग करत है। उसके बाद भी जंगलों में लगने वाली आग पर काबू नहीं पाया जाता है।

बता दें कि गर्मी का सीजन शुरू होते ही उत्तराखंड के जंगल धधकने लगे है. अब तक लगभग 436 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हो चुका है. जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए वन महकमा लगातार कोशिश कर रहा है. लेकिन जंगल की आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक आग की घटनाएं सामने आ रही है। आग से पहाड़ धुआं-धुंआ हो रहे हैं राज्य में गर्मी तेज़ी से बढ़ने लगी है साथ ही जंगल की आग के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं शुक्रवार को वनाग्नि की 10 घटनाएं हुईं, जो शनिवार को बढ़कर 22 हो गई थी जिसके बाद प्रदेश भर में अब तक कुल 373 हो चुकी है।

गौरतलब है कि गर्मी के मौसम में उत्तराखंड में इस तरह की घटनाएं हर साल होती हैं. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया का आंकड़ा बताता है कि पिछले साल आज की तारीख तक उत्तराखंड में आग लगने की मात्र 85 घटनाएं हुई थी, मगर इस साल ये आंकड़ा 300 से पार पहुंच गया है. आलम यह है कि अल्मोड़ा में तो लोकसभा चुनाव के लिए बनाए गए स्ट्रांग रूम तक आग पहुंच गई. वहां रखा जनरेटर भी आग की चपेट में आ गया. गनीमत रही कि समय रहते दमकल की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पा लिया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *