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देहरादून: कांग्रेस विधायक हरीश धामी पार्टी आलाकमान से खफा, कह डाली ये बात

उत्तराखंड: विधानसभा चुनाव में हारने के बाद अब कांग्रेस के अंदर भूचाल चल रहा है. कांग्रेस के लगभग 10 विधायक अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं और उन्हीं में से एक विधायक कांग्रेस के कद्दावर नेता और वरिष्ठ विधायक हरीश धामी हैं। हरीश धामी ने कुछ दिन पहले कहा था कि हाईकमान को एक नए चेहरे को भी मौका देना चाहिए,यह बात उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के लिए कही थी । लेकिन उस वक्त हरीश धामी ज्यादा नाराज नजर नहीं आ रहे थे, वही जैसे ही कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का नाम फाइनल किया तो उसके बाद हरीश धामी और साथ में 9 विधायक पार्टी हाईकमान से खासा नाराज नजर आ रहे हैं।

इसी नाराजगी को लेकर हरीश धामी देहरादून पहुंच गए हैं साथ ही आज शाम तक कांग्रेस के 8 विधायक और देहरादून पहुंचने वाले हैं और बद्रीनाथ से कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी कल ही देहरादून पहुंच गए हैं. वहीं आज शाम कांग्रेस के इन विधायकों की बैठक होने जा रही है बताया जा रहा है कि इन 10 विधायकों में से 2-3 विधायक कांग्रेस को छोड़ने के लिए तैयार बैठे हुए हैं और उन्हीं में से एक विधायक हरीश धामी भी है.

वहीं हरीश धामी ने कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर जमकर निशाना साधा है, उन्होंने मुजफ्फरनगर कांड की याद दिलाते हुए कहा कि

उत्तराखंड के लोग यादवों को बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं. यादवों का नाम आते ही देवभूमि के लोगों को खटीमा गोलीकांड और मुजफ्फरनगर गोलीकांड ज्यादा जाता है. और एक ऐसे ही व्यक्ति को केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड का प्रभारी बना कर भेज दिया।

उन्होंने कहा कि मेरी नाराजगी ना करण माहरा से है ना यशपाल आर्य से और ना ही भुवन कापड़ी से मेरी नाराजगी सिर्फ और सिर्फ प्रदेश प्रभारी और केंद्रीय हाईकमान से है.
मेरी नाराजगी सिर्फ इसी बात को लेकर है कि आखिर आपने जो समीक्षा की वह किस आधार पर की गई. आप मेरिट की बात कर रहे हैं तो क्या मेरी मेरिट कम थी मैं 3 बार का विधायक रह चुका हूं और इसके साथ ही जब आप सैनिकों की बात करते हैं तो एक सैनिक परिवार से हूं मेरे पिताजी ने भारत के लिए गोली भी खा रखी है तो आखिर मेरी मेरिट कम कैसे हो गई.

इसके साथ ही हरीश धामी ने कहा कि हार की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ प्रदेश प्रभारी की है हमारे उस वक्त के अध्यक्ष गणेश गोदियाल जो अपना चुनाव बहुत अच्छी तरह से जीत रहे थे आपने उन्हें भी चुनाव हरवा दिया. उस वक्त उन को अध्यक्ष बना दिया गया लेकिन चार और कार्यकारी अध्यक्ष बना दिए गए आखिर उनकी क्या जरूरत थी?
और उसके बाद आपने उन्हें कोई काम करने भी नहीं दिया. इसके साथ ही हरीश रावत को भी उन्होंने काम नहीं करने दिया हरीश रावत रामनगर लड़ना चाहते थे और उन्हें लालकुआं भेज दिया।

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