नेतृत्व पर कांग्रेस को करना होगा विचार, अब केवल दो राज्यों में ही है पूर्ण बहुमत की सरकार
नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के हिस्से केवल हताशा और मायूसी ही आई है. पंजाब गंवाने के साथ ही पार्टी को बाकी चार राज्यों में भी शर्मनाक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस की साख बचाने खुद प्रियंका गांधी चुनावी प्रचार में उतरी, लेकिन कोई फायदा होते नही दिखा।
इन राज्यों में है सरकार
मौजूदा वक्त में केवल छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता में कांग्रेस का कब्जा है। महाराष्ट्र और झारखंड में गठबंधन की सरकार है। पहले पुद्दूचेरी और अब पंजाब की कमान कांग्रेस के हाथो से निकल गई। राजनीतिक इतिहास में कांग्रेस इससे ज्यादा बुरे हालातो से नहीं गुजरी। यहां न केवल कांग्रेस हार का सामना कर रही है बल्कि पार्टी के भीतर ही नेतृत्व को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। पंजाब में फिसलती सत्ता और उत्तराखंड में करारी हार की वजह आपसी खींचतान, गुटबाजी व अनुशासनहीनता को माना जा रहा है।
पंजाब में तो कांग्रेस का तो हाल ही बुरा रहा, पहले कैप्टन और सिद्धू, फिर सिद्धू और चन्नी के बीच का विवाद जगजाहिर है। ठीक इसी तरह उत्तराखंड में हरीश रावत और प्रीतम सिंह की दूरियां किसी से छुपी नहीं हैं। इसी तरह उत्तराखंड में हरीश रावत बनाम प्रीतम सिंह की खींचतान के बीच पार्टी ने चुनाव लड़े और नतीजा सबके सामने है।
अब सवाल ये है कि लगातार हारती हुई कांग्रेस की कमान क्या किसी मजबूत हाथों में सौंपी जाएगी?
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