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2012 की भूल से कांग्रेस ने लिया सबक, पार्टी के त्रिदेवो को विजयी प्रत्याशियों पर निगरानी का जिम्मा

देहरादून: कांग्रेस हाईकमान ने विजयी प्रत्याशियों पर निगरानी की जिम्मेदारी तीन विश्वसनीय लोगो को सौंपी है। एक तरफ जहां पूरी चुनावी प्रक्रिया सीधे हाईकमान के हाथ होगी वहीं, स्थानीय क्षत्रपों को अपने समर्थक विधायकों के साथ अलग से खिचड़ी पकाने का भी मौका नहीं मिल पाएगा। वर्ष 2002 और वर्ष 2012 में पार्टी नेताओं के बीच बने सत्ता संघर्ष की स्थिति आज भी सभी के जेहन में ताजा है। इस चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने पर सत्ता संघर्ष की आशंका लग रही है। इस बार जहां पूर्व सीएम हरीश रावत कैंप रावत को मुख्यमंत्री पद का स्वभाविक दावेदार मानता है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के समर्थक सरकार बनने पर प्रीतम को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। केंद्रीय आब्जर्वर के साथ होने की वजह से विधायकों पर कोई भी कैंप दबाव बनाने की स्थिति में नहीं रहेगा
कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। कोई लाख दावे करता रहे पर उत्तराखंड की जनता ने कांग्रेस के पक्ष में अपनी मुहर लगाई है।

हरीश रावत

भाजपा के कुशासन के खिलाफ जनता ने कांग्रेस को समर्थन दिया है। 10 मार्च को जनता का फैसला आ जाएगा। अब भाजपा चाहे जितनी साजिश करे, वो सफल नहीं होगी। जनता ने उसे नकार दिया है।

प्रीतम सिंह

उत्तराखंड में निश्चित रूप से कांग्रेस सरकार का गठन होने जा रहा है। एग्जिट पोल के कई सर्वेक्षणों में कमोवेश इस बात की तस्दीक भी हो रही है। कांग्रेस प्रदेश के विकास के मुद्दे पर मिल जुलकर काम करेगी।

गणेश गोदियाल

जुदा जुदा नजर आए हरीश रावत और प्रीतम सिंह

शीर्ष नेताओं के साथ बैठक के दौरान पूर्व सीएम हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ज्यादा सहज नजर नहीं आए। दोनों नेता एक दूसरे से कटे कटे से रहे। जहां रावत अपने समर्थकों से घिरे रहे वहीं, प्रीतम भी दूरी बनाते हुए अपनी टीम के साथ अलग ही रहे। बैठक में जरूर दोनों अगल बगल में थे, लेकिन वहां भी गर्मजोशी नजर नहीं आई। मालूम हो कि कांग्रेस में दोनों ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं।

निर्दलीयों से तालमेल का जिम्मा: बहुमत का आंकड़ा हासिल न होने पर कांग्रेस निर्दलीय व दूसरे दलों के जीते प्रत्याशियों को साधेगी। सूत्रों के अनुसार हरीश रावत, प्रीतम सिंह व गणेश गोदियाल को चुनाव में मजबूत दिखे निर्दलीयों पर नजर रखने को कहा गया है। भाजपा हफ्तेभर पहले से ही जिताऊ माने जा रहे निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ संपर्क साधना शुरू कर चुकी है। अब कांग्रेस भी इसे लेकर अलर्ट हो गई है।

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