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आखिर क्यों विदेश में पढ़ने जाते हैं भारतीय छात्र, जानिए कारण

दिल्लीः यूक्रेन में भारत के करीब 2 हजार से अधिक बच्चे शिक्षा(Education) ग्रहण कर रहे है। जिसमें 20 हजार बच्चे मेडिकल के छात्र हैं। लेकिन लोगों के मन में एक सवाल पैदा होता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में भारत के बच्चे यूक्रेेन में मेडिकल की पढ़ाई करने क्यों जाते है? जब इस मुद्दे की तस्दीक की गई तो पता चला कि भारत के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए छात्रों के लिए सीटें बेहद कम होती है। वही प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की बात करे तो प्राइवेट कॉलेजों में डोनेशन देना पड़ता है।

भारत में 586 मेडिकल कॉलेज

भारत में 586 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 88 हजार सीटे है। एमबीबीएस में एडमिशन लेने के लिए पिछले साल 16 लाख बच्चों ने नीट का एग्जाम दिया था। लेकिन एमबीबीएस में एडमिशन के लिए डोनेशन का धंधा पूरे देश में चल रहा है। मध्यप्रदेश की बात करे तो एमपी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फीस करीब 01 लाख से भी कम फीस है। तो वही निजी मेडिकल कॉलेज में करीब 8 लाख की फीस है। यानी सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पूरी पढ़ाई 4 से 5 लाख रूपये में हो जाती है।

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यूक्रेन क्यो जाते है भारतीय छात्र

दरअसल, भारत में जब सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सीटे भर जाती है तो प्राइवेट मेडिकली कॉलेजों में डोनेशन के नाम पर लूटखसोट शुरू हो जाती है। ऐस में निजी कॉलेजों में छात्रों को लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाली एक छात्रा के अनुसार सरकारी कॉलेज में एडमिशन ने मिलने वालों को एमबीबीएस सीट के लिए बोली लगाने का ही रास्ता बचता है। इसके लिए हमे निजी मेडिकल कॉलेज को 50 लाख से लेकर 1 करोड़ तक का डोनेशन देने पड़ता है।

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भारत के मुकाबले काफी सस्‍ती है फीस

यूक्रेन में 3 लाख रुपये सालाना फीस से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की जा सकती है। यूक्रेन में रहने के लिए हमे 3 लाख रुपये और खर्च करने पड़ते है। यानी यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने पर करबी 30 से 35 लाख तक खर्च होते हैं। इसलिए भारतीय बच्चे यूक्रेन मेडिकल की पढ़ाई करने जाते है।

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फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएशन एग्जाम कैसे पास होता है

बता दें कि यूक्रेन की चार यूनिवर्सिटी में पूरी दुनिया से बच्चे मेडिकल की पढ़ाई करने आते हैं। यूक्रेन में पढ़ने के लिए बच्चों को फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएशन एग्जाम क्लीयर करना होता है। एग्जाम 300 अंकों का होता है जिसमें से 150 अंकों में पास किया जा सकता है।

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