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जानिए दीपावली पर दिये क्यों जलाए जाते हैं?

देहरादून मिरर/ देहरादून
दीपावली को प्रकाश पर्व व खुशियों के त्योहार रूप में जाना जाता है. हम सभी जानते हैं कि जिस दिन श्री राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे उस दिन दिपावली मनाई जाती है. भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए थे और तभी से ही इस दिन दीपावली मनाई जाती है. लेकिन सिर्फ एक यही कारण नहीं है जिस वजह से दीपावली में दिये जलाए जाते हैं, इसके अलावा भी कुछ कारणों की वजह से दीपावली के दिन दिये जलाए जाते हैं.
पुराणों में जब दीपावली वर्णन मिलता है तो ये तथ्य सामने आता है कि सिर्फ लक्ष्मी पूजन व राम के वापस लौटने के उपलक्ष्य में ही नहीं बल्कि पितरों के लिए भी दिये जलाए जाते हैं, क्योंकि दीपावली-अमावस्या से पितरों की रात शुरू होती है. हमारे पितर रास्ते से भटक ना जाए इसलिए उनके लिए प्रकाश की व्यवस्था इस रूप में भी की जाती है. ये प्रथा बंगाल में सबसे ज्यादा प्रचलित है. दीपावली पर दिये जलाने का एक प्रमुख कारण नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना भी है. पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार दीपावली के दिन ही माता लक्ष्मी दूध के सागर जिसे केसर सागर के नाम से जाना जाता है, उस से उत्पन्न हुई थी. और साथ ही समुद्र मंथन से आरोग्यदेव धन्वन्तरि और भगवान कुबेर भी प्रकट हुए थे. माँ लक्ष्मी,आरोग्यदेव धन्वन्तरि और भगवान कुबेर को प्रसन्न करने व उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए भी दीपावली के दिन दिये जलाए जाते हैं.

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